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448 / हीर / वारिस शाह

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जदों खलक पैदा कीती रब्ब सचे बंदयां वासते कीते नी सभ पसारे
रन्नां छोकरे जिन्न शैतान रावल<ref>जोगी</ref> कुता कुतड़ी बकरी ऊठ सारे
टोहां मूल फसाद दा होइयां पैंदा जिन्हां सभ जगत ते मूल धारे
आदम कढ बहिश्त थी खुआर कीता ए तां डायनां धुरों ही करन कारे
एह करन फकीर चा रांझयां नूं इन्हां राजे ते राने ने सभ मारे
वारस शाह हैन हुनर विच मरदां अते महरियां विच नी ऐब भारे

शब्दार्थ
<references/>