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458 / हीर / वारिस शाह

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करामात है कहर दा नाम रन्ने केहा घतयो आन वसूरया ई
करे चावड़ा चिवड़ा<ref>नखरे करना</ref> नाल मसती अजे तीक अनजानां नूं घूरया ई
फकर आखसन सोई कुझ रब्ब करसी एवें जोगी नूं ला वडूरया ई
वारस पंज पैसे रोक लगा धरयो खंड चावला दा थाल पूरया ई

शब्दार्थ
<references/>