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460 / हीर / वारिस शाह

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हथ बन्ह के करे सलाम सहती दिलों जान थी चेलड़ी तेरियां मैं
करां बांदियां वांग बजा खिदमत नित पांवदी रहांगी फेरियां मैं
पीर सच दा असां तहकीक<ref>यकीन</ref> जाता नाल सिदक मुरीद हां तेरियां मैं
करामात तेरी उते सिदक कीता तेरे हुकम दे नफस ने घेरियां मैं
साडी जान ते माल ते हीर तेरी नाले सने सहेलियां तेरियां मैं
असां किसे दी गलना कदी मन्नी तेरे इसम<ref>नाम</ref> आजम<ref>बड़ा</ref> हुब<ref>प्यार</ref> घेनियां मैं
इक फकर अलाह दा रख तकवा<ref>आसरा</ref> होर ढा बैठी सभ ढेरियां मैं
पूरी नाल हिसाब दे हो सकां वारस शाह की करां शेरियां<ref>दिलेरी</ref> मैं

शब्दार्थ
<references/>