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467 / हीर / वारिस शाह

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फिरे जोम<ref>घमंड</ref> दी भरी ते शाण चड़ी आ टली नी मुंडिए<ref>लड़की</ref> वासता ई
मरद-मार रकाने जग बाजे मान मतिये गुंडिए वासता ई
बखशी सब गुनाह तकसीर तेरी लिया हीर नूं नडिये वासता ई
वारस शाह समझाय के जटड़ी नूं लाह दिल दी घुंडिए वासता ई

शब्दार्थ
<references/>