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472 / हीर / वारिस शाह

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हीर आखया जायके खोल बुकल उहदे वेस नूं फूक वखावनी हां
नैनां चाड़के सान ते करां पुरजे कतल आशकां दे उते धावनी हां
अगे चाक सी खाक कर साड़ सुटां उहदे इशक नूं सिकल<ref>पालिश</ref> चड़ावनी हां
ऊहदे पैरां दी खाक हैं जान मेरी जीउ जानथी घोल घुमावनी हां
मोया पया है नाल फिराक<ref>बिछड़ना</ref> रांझा ईसा वांग मुड़ फेर जवावनी हां
वारस शाह पतंग नूं शमा उते अग लायके वेख जलावनी हां

शब्दार्थ
<references/>