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473 / हीर / वारिस शाह

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हीर नहायके पट दा पहन तेवर वाली अतर फुलेल लगांवदी ए
वल पायके मेढियां खूनियां नूं गोरे मुख ते जुलफ पलमांवदी ए
कजल भिनड़े नैन अपराध लुटे दोवे हुसन दे कटक लै धांवदी ए
मल वटना होठां ते ला सुरखी नवां लोहड़ ते लोहड़ चड़ांवदी ए
सिरी-साफ<ref>बारीक मलमल</ref> दा मोछना पहन उते कन्नी डडियां वालीयां पांवदी ए
कीमख़ाब दीचोलड़ी झब रही बाक चैक ते तोड़ बलांवदी ए
घत झांजरां लोड़ दे सिर कडके हीर सयाल लटकदी आवदी ए
टिका बिंदली बनी है नाल लूहला वांग मोर दे पैलां पांवदी ए
हाथी मस्त छुटा छन छन करके कतल आम खलकत हुंदी जांवदी ए
नैन मस्त ते लोहड़ दंदासड़े दा शाह परी छनकदी आंवदी ए
कदे कढक घुंड लुड़ा देंदी कदे खोलके मार मुकांवदी ए
घुंड लाह के कटक विखा सारी जटी रूठड़ा यार मनांवदी ए
मालक माल देवें सब खोल दौलत वखो वख कर चा विखांवदी ए
वारस शाह तां परी दी नजर चढ़या खलकत सैफियां<ref>जादू</ref> फूक दी आंवदी ए

शब्दार्थ
<references/>