Last modified on 5 अप्रैल 2017, at 15:01

502 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:01, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भाबी साहन तेरे मगर धुरो लगा हलयां होया कदीम दा मारदा नी
तूं भी वहुटड़ी पुत सरदार दिए उस वी दुध पीता सरदार दा नी
साहन बाग विच लटदा हो कमला हीर हीर ही नित पुकारदा नी
तेरे नाल उह लाड पयार करदा होर किसे नूं मूल ना मारदा नी
पर उह इलत बुरी हिलया ए पानी पींवदा तेरी नसार<ref>बालटी</ref> दा नी
तूं झंग सयालां दी मोहनी ए तैनूं आन मिलया हिरन बार दा नी
खास किसे दे वल न धयान करदा साखां<ref>हड्डियां</ref> तेरियां उह लताड़दा नी
वारस शाह मियां सच झूठ विचों पुण कढदा अते नितारदा नी

शब्दार्थ
<references/>