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507 / हीर / वारिस शाह

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असी वयाह आंदी कूंज फाह आंदी साडे भा दी बनी है औखड़ी नी
वेख हक हलाल नूं अग लगसी रहे खसम दे नाल एह खोखड़ी<ref>मुसीबत</ref> नी
जदों आई तदोकना रही ढठी कदी हो ना लैंबी ए सौखड़ी नी
लोह-लथड़ी जदों दी वयाह आंदी कलां कलदी जरा है चोखड़ी नी
वारस शाह उह अन्न ना दुध खांदि दुख नाल नाल सुकांवदी नी

शब्दार्थ
<references/>