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515 / हीर / वारिस शाह

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हुकम हीर दा माऊ तों लया सहती गलां आपों विच दोहां मेलियां ने
अनी आओ खां आपो विच गल गिनो सभ घलियां सभ सहेलियां ने
रूजू<ref>आमने-सामने</ref> आन होइयां सभे पास सहती जिवें गुरु अगे सभ चेलियां ने
कहे कुआरियां कई वियाहियां ने चंद जेहे सरीर मथेलियां ने
उन्हां माऊ ते बाप नूं भुन्न खाधा मुंग चने कुआरियां खेलियां ने
विच हीर सहती दोवें बैठियां न दुआल बैठियां आन सहेलियां ने
सभनां बैठ के इक सलाह कीती भाबी नणद ते आन रवेलियां ने
सुती पई लोको उठ चलना जे बाहर करनियां जां काले केलियां ने
सइयों हुम हुमा के आवना जे गलां करनियां अज कहेलियां ने
वारस शाह शिंगार महावतां न जिवें हथनियां किले ते पेलियां ने

शब्दार्थ
<references/>