जाय मंजयों उठ के किवे तिलके हीर पैर हलायक चुसत होवे वांग रोगियों रात दिनरह ढठी किव हीर बीबी तंदरूसत होवे एह वडा अजाब<ref>दुःख</ref> हैं मापयां नूं नुंह धी बूहे उते सुसत होवे वारस शाह मियां क्यों ना हीर बोले सहती जेहियां दी जिन्हां नु पुशत<ref>सहायता</ref> होवे