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523 / हीर / वारिस शाह

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सद मांदरी खेड़यां लख आंदे फकर वैद ते नाल मदारियां दे
तिरयाक अकबर अफलातून वाला दारू वडे फरग पसारियां दे
जिनहां जात हजारे दे सप कीले घत आंदे ने विच पटारियां दे
गडे लख ताविज ते धूप हरमल सूत आंदे ने कंज कुआरियां दे
कोई अक चवा खवा गंडे नागदौण<ref>एक पहाड़ी बूटी</ref> ते पान सुपारियां दे
तेल मिरच ते बूटियां दुध पैसे घिओ देंदे ने नाल खुआरियां दे
वारस शाह सपाधियां पिंड बधे खेड़यां जोर लाए जरां जारियां दे

शब्दार्थ
<references/>