Last modified on 5 अप्रैल 2017, at 15:37

530 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:37, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हथबन्ह नीवीं धौन घाह मुंह विच कढ दंदियां मिनतां घालिया ओए
तेरे चलयां होंदी है हीर चंगी दोही रब्ब दी मुंदरां वालिया आए
अठ पहर होए भुखे कोड़में<ref>एक खानदान</ref> नूं लुड़ गए हां फाकड़ा जालिया ओए
जटी जहर वाले किसे नाग डगी असां मुलक ते मांदरी भालिया ओए
चंगी होए नाही जटी नाग डगी तेरे चलया खैरां वालिया ओए
जोगी वासते रब्ब दे तार सानूं बेड़ा ला बनहे अल्लाह वालिया ओए
लिखी विच रजाय दे मरे जटी जिसने सप्प दा दुख ही जालिया ओए
तेरी जटीदा की इलाज करना असां आपना कोड़मा गालिया ओए
वारस शाह तकदीर रजा वाला उन्हां औलिया<ref>पीर</ref> भी नहीं टालिया ओए

शब्दार्थ
<references/>