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532 / हीर / वारिस शाह
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सैदा आखदा रोंदड़ी पई डोली चुप करे नाहीं हतिआरड़ी<ref>ज़ालिम</ref> ओए
वडी जवान बाला कोई परी सूरत तिन कपड़े वडी मुटिआरड़ी ओए
जे मैं हथ लावां सिरों लाह लैंदी चा घतदी चीख चिहारड़ी<ref>चैक-चिहाड़ा</ref> ओए
हथ लावण पलंग नूं मिले नाहीं खौफ खतरियो<ref>डर</ref> रहे निआरड़ी<ref>अलग</ref> ओए
मैंनूं मारके आप नित रहे रोंदी एस डौल ही रहे कुआरड़ी<ref>कुवारी</ref> ओए
नाल सस ननाण दे गल नाही पई मचदी नित खुआरड़ी<ref>खवार करना</ref> ओए
असां ओसनूं मूलना हथ लाया कोई नागर<ref>कमज़ोर</ref> लोथ है भारड़ी<ref>भारी</ref> ओए
ऐवे गफलतां विच बरब्बाद कीती वारस शाह एह उमर पयारड़ी ओए
शब्दार्थ
<references/>