भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

544 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:39, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुड़ियां आखया जा के हीर ताईं अनी वहुटीए अज वधाईए नी
मिली आबेहयात पिआसयां नूं हुण जोगियां दे हथ हाईए नी
तैनू दोजख दी आंच है दूर होई रब्ब विच बहिश्त दे पाईए नी
पूरे रब्ब ने मेल की तारीए नी मोती लाल दे नाल पुराईए नी
वारस शाह कहु हीर दी सस तांई अज रब्ब ने चैड़ कराईए नी

शब्दार्थ
<references/>