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548 / हीर / वारिस शाह

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निकल कोठयों तुरत तयार होया सहती आन हजूर सलाम कीता
बेड़ा ला बने असो आजजां दा रब्ब फजल तेरे उते आम कीता
मेरा यार मलावना वासता ई असां कम्म तेरा सरंजाम<ref>पूरा करना</ref> कीता
भाबी हथ फड़ायके टोर दिता कम खेड़यां दा सभ खास आम कीता
शरम मापयां दी सभो रोड़ दिती ससी नाल जिवें आदम जाम कीता
जो कुझ होवनी ने सीता नाल कीती अते दहसरे नाल जो राम कीता
वारस शाह आप जिस ते मेहरबान होवे उथे फजल ने आय कियाम कीता

शब्दार्थ
<references/>