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552 / हीर / वारिस शाह

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इक जाण भन्ने<ref>दौड़े</ref> बहुत नाल खुशी भला होया फकीर दी आस होई
इक जाण रोंदे जूह खेड़यां दी अज देखो ते चैड़ नखास<ref>मंडी</ref> होई
इक नाल डंडे नंगे जान भन्ने यारो पई सी हीर उदास होई
इक चितड़ वजांवदे जान भंउदे जो मुराद फकीर दी रास होई
वारस शाह ना सुंदयां ढिल लगदी जदों उसतरे नाल पटास होई

शब्दार्थ
<references/>