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583 / हीर / वारिस शाह

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संन यारां सौ असी नबी हिजरत लमे देस दे विच तयार होई
अठारां सौ बाईसया सनमती दा राजे विक्रमाजीत दे सार होई
चोर चैधरी यार ते पाक दामन भूत मंडली इक दो चार होई
वारस शाह जिन्हां केहा पाक कलमा, बड़ी तिन्हां दी आकबत पार होई

शब्दार्थ
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