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अैलै टेलीफोन / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

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अैलै टेलीफोन हो बाबू, अैलै टेलीफोन हो,
जल्दी आबऽ काल छोड़ैहऽ, सनठी केरऽ सोन हो,
अैलै टेलीफोन हो...।

दस दिन पहिनेॅ देनें छीयै, दूठऽ नमरी घूस हो,
होकरौ सं नारंगी के बीस रूपा के जूस हो,
लागै छै कि मुंशी जी के, पचकी गेलै तोन हो,
अैलै टेलीफोन हो...।

तीन साल सेॅ रब्बी, भदबी होलै सब बेकार हो,
नोन पानी पीवी-पीवी झूठमूठका ढ़कार हो,
कर्ज लेकेॅ खाधऽ देलों, तैयों आठे मोन हो,
अैलै टेलीफोन हो...।

गौड़ासी के खेतऽ बेचलौ, आरू गोला बैल हो,
करम फुटलै हमरऽ बाबू, होलौं मैट्रीक फेल हो,
कर्जा केॅ सधाबै खातिर, आबे बेचभों कोन हो,
अैलै टेलीफोन हो...।

दिनऽ केॅ सब्भे बापूत खाय छी सतुआ सानी हो,
लारऽ लेॅकेॅ मैया बनबै खाना कानी-कानी हो,
धधकी गेलौ चूल्हा होलौ, भातऽ के अधोन गे,
अैलै टेलीफोन हो...।