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अनुगीत-4 / राजकुमार
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हम ढिंढोरा छी कहाँ विसराम हमरोॅ
छै अकाशोॅ के लेली संग्राम हमरोॅ
लाल छी हम लालिमा हमरोॅ पसरलोॅ
चीरनें अँधियार के अंजाम हमरोॅ
हम ईंगोस छी मय के तेज ‘तीतर
चेतना रोॅ फूल अड़हुल ग्राम हमरोॅ
जिन्दगी हमरोॅ लहरलोॅ लहलहैलोॅ
लहक छी हम पंख में परिणाम हमरोॅ
जीत हमरोॅ बन्द मुट्ठी में समैलोॅ
छै अमावस के चिबाना काम हमरोॅ
राग हमरोॅ साज के आवाज हमरोॅ
‘राज’ धरती रोॅ लपट अविराम हमरोॅ