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बहुत है रुलाया हँसाना पड़ेगा / हरकीरत हीर

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बहुत है रुलाया हँसाना पड़ेगा
तुझे ऐ मुहब्बत मनाना पड़ेगा

चलो फ़िर सजा लें वही ख़्वाब अपने
शिकायत, गिला सब भुलाना पड़ेगा

कभी राज़ दिल के छुपाओ न हमसे
अग़र है मुहब्बत बताना पड़ेगा

नहीं चाहती ता उमर साथ तेरा
चलूँ कुछ क़दम ये सिखाना पड़ेगा

सदा दूँ कभी जो तड़पकर तुझे मैं
वो नग्मा सबा को सुनाना पड़ेगा

बड़ी पाक है ये ख़ुदा की इबादत
दिलों में इसे फ़िर बसाना पड़ेगा

अग़र हीर से है जो सच्ची मुहब्बत
तुझे ख़ुद को राँझा बनाना पड़ेगा