Last modified on 12 अप्रैल 2017, at 12:21

ज़िन्दगी से जंग / मंजुश्री गुप्ता

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:21, 12 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मंजुश्री गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ज़िन्दगी आ!
दो दो हाथ कर लें
कोशिश कर तू
मुझे पटखनी देने की
ये ले मैं फिर जीती
तूने हर रास्ते बंद कर दिए?
ले मैं निकल गयी
पतली गली से!
अरे अरे!
फ़िर नयी चुनौतियां?
तूने समझ क्या रखा है मुझे?
मैं और मजबूत बन कर
लड़ूंगी तुझसे
तू है किस खेत की मूली?
लड़ती जाउंगी
कभी चोट खाऊँगी
कभी हार जाऊँगी
मगर फिर भी
लड़ती जाउंगी
जब तक तू
सुधर नहीं जाती
या फिर तू
चली नहीं जाती!