Last modified on 17 अप्रैल 2017, at 23:04

धरती और खगोल / अजित सिंह तोमर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:04, 17 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजित सिंह तोमर |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धरती घूम रही है
अपनी एक थिर गति से
कायदे से
इसे रुक जाना चाहिए
कुछ पल के लिए
ताकि जड़ हुए मनुष्य
छिटक कर जा पड़े मीलों दूर
मनुष्यता को बचाने का
कम से कम एक प्रयास
धरती को करना चाहिए जरूर।


देखना एक दिन ऐसा होगा
धरती बंद कर लेगी अपनी आँखें
फिर फर्क करना मुश्किल हो जाएगा
दिन और रात का
उस दिन
आसमान कोई सलाह नही देगा
वो देखेगा
मनुष्य को भरम के चलते
गिरते-सम्भलतें हुए
धरती आसमान के बीच उस दिन
सबसे अकेला होगा मनुष्य।


धरती की शिकायत
बस इतनी सी है
मनुष्य उसे अपनी सम्पत्ति समझता है
जबकि
वो खुद ब्रह्माण्ड के निर्वासन पर है
जिस दिन पूरा होगा उसका अज्ञातवास
मनुष्य सबसे अप्रासंगिक चीज़ होगा
धरती के लिए।


धरती गोल है
यह एकमात्र वैज्ञानिक सत्य नही है
धरती के गोल होनें के मिले है
ठोस मनोवैज्ञानिक प्रमाण भी
तभी तो
मनुष्य जहाँ से चलता है
एक दिन लौट आता है उसी जगह
कभी हारकर कभी जीतकर
धरती जरुर गोल है
मगर मनुष्य का कोई एक आकार नही है
यह बात सिद्ध होनी बाकि है अभी
किसी वैज्ञानिक/मनोवैज्ञानिक शोध में