Last modified on 27 अप्रैल 2017, at 16:11

साजअ साजअ हे अम्माँ / अंगिका लोकगीत

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:11, 27 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> प्रस्तुत गी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रस्तुत गीत में पुत्र द्वारा विभिन्न आपदाओं पर विजय प्राप्त कर विवाह कर लौटने और अपनी नवेली बू को माँ को सौंपने का आश्वासन देने तथा अपनी बहू को लाड़-प्यार से रखने का अनुरोध किया गया है। माँ एक अनुभवी गृहिणी है। वह अपने पुत्र से स्पष्ट कह देती है- ‘आवश्यकता पड़ने पर ताड़ना देने से भी मैं नहीं चूकूँगी।’ सास-पतोहू का आपसी मनमुटाव संभव है और कभी-कभी सास की ओर से प्यार के साथ-साथ ताड़ना देना भी अनिवार्य हो जाता है।

साजअ साजअ हे अम्माँ, सोनामंती<ref>सोने का बना हुआ</ref> डालबा<ref>बाँस की बारीक और चिकनी कमानियों की बुनी हुई गोलाकार टोकरी।</ref>।
हमैं जैबअ गे अम्माँ, लौंगे बनिजे॥1॥
बाटअहिं<ref>रास्ते में</ref> छइ रे बेटा, बेतहुक<ref>बेंत की कमाची</ref> करोंचिया<ref>बेंत की कमाची</ref>।
कसे जैबे रे बेटा, लौंगे बनिजे॥2॥
कमरँहिं छइ अम्माँ गे, सोनामूठी छूरिया।
कटैबै<ref>कटवाऊँगा</ref> अम्माँ गे, बेंत करोंचिया॥3॥
बिहा<ref>विवाह</ref> करिय गे अम्माँ, लौअबऽ हे।
गौरी तोरे हाथें सौंपबऽ हे।
भलअ<ref>अच्छी तरह</ref> कै राखिहें गे अम्माँ, हमरियो गौरी॥4॥
झगड़ा तकरार गे अम्माँ, जनु नहिं करिहें।
उनकअ<ref>मुट्ठी बाँधकर ठुड्ढी में मारना</ref> ठुनकअ गे अम्माँ, जनु नहिं करिहें॥5॥
अँचरा के कौरिया<ref>कौड़ी</ref> बेटा, उड़ाय देलौं रे।
अँगुरी टँगुरी<ref>अँगुली; थप्पड़ या पैर से मारना</ref> रे बेटा करबे करबौ<ref>करूँगी ही</ref> रे।
झगरा तकरार रे बेटा, करबे करबौं रे॥6॥

शब्दार्थ
<references/>