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बाबा साजु बरियतिया इँजोरिया में / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
शुक्ल पक्ष में बरात सजाने का अनुरोध इस गीत में किया गया है, जिससे दुलहे के कीमती वस्त्रों का चमकना लोग देख सकें।
बाबा साजु बरियतिया इँजोरिया<ref>शुक्ल पक्ष</ref> में।
मौरिया<ref>मौर</ref> चमचम चमकै इँजोरिया में॥1॥
ऊपर मेघ घमसान नीचे छूटै निसान।
गभरू दुलहा बनी ऐहऽ ससुररिया में॥2॥
चाचा साजु बरियतिया इँजोरिया में।
सिरमानी<ref>शेरवानी; अचकन</ref> चमचम चमकै इँजोरिया में॥3॥
ऊपर मेघ घमसान नीचे छूटै निसान।
गभरू दुलहा बनी ऐहऽ ससुररिया में॥4॥
भैया साजु बरियतिया इँजोरिया में।
जुतबा चमचम चमकै इँजोरिया में॥5॥
ऊपर मेघ घमसान नीचे छूटै निसान।
गभरू दुलहा बनी ऐहऽ ससुररिया में॥6॥
शब्दार्थ
<references/>