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कौनी गाँव के राजा पोखरी खनाबल / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दुलहा विवाह करने आता है और लोगों से पूछकर दुलहन के पिता के घर का पता प्राप्त करता है। उसे बताया जाता है कि जिस आँगन में चंदन का वृक्ष हो, घर की खिड़कियों में किवाड़ लगे हों, मंडप पर सोने का कलश हो और दुलहन की माँ अपनी लटों को खोले हुए हो, वही तुम्हारे ससुर का घर है।

कौनी गाँव के राजा पोखरी खनाबल<ref>खुदवाया</ref>, हेमति<ref>सोच-समझकर; परिश्रम से</ref> हेमति बान्हे घाट हे।
कौनी गाँव के राजा बियहन ऐलै, घुरुमि<ref>घूम-घूमकर</ref> घुरुमि खोजै घाट हे॥1॥
जनकपुर के राजा हे पोखरी खनाबल, हेमति हेमति बान्हे घाट हे।
अजोधा के राजा हे बियहन ऐलै, घुरुमि घुरुमि खोजै घाट हे।
कौनी छिक बेटी बाप के दुआर हे॥2॥
ऐंगनाहिं<ref>आँगन में</ref> सोभै चनन बिरिछिया<ref>वृक्ष</ref>, ािरकी में लागल केबाड़ हे।
मड़बाहिं राखल सोने के कलसबा, खिरकी में लागल केबाड़ हे।
लट छिलकैती<ref>लटें छिटकाती हुई</ref> समधिन छिनरिया, उहे छिकअ बेटी बाप के दुआर हे॥3॥

शब्दार्थ
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