भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धृतराष्ट्र-पाण्डु / लोकगीता / लक्ष्मण सिंह चौहान
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:40, 28 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मण सिंह चौहान |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अम्बिका से धृतराष्ट्र अम्बालिका से पाण्डु रामा।
योगबल से देलकैय लरिका हो सांवलिया॥17॥
नयन बहिन धृतराष्ट्र छिलैय वे हे ले लु।
छोटा भाई पाण्डु राज करैय हो सांवलिया॥
कुन्ती आरु मादरी पाण्डु के धरमपतनी हो।
गुणवती परम शुशीला हो सांवलिया॥18॥
युधिष्टर, भीम आरु अरजुन-गाण्डिव धारी।
कुन्ती से इ तीनों सुरमा होवैय हो सांवलिया॥
नकुल, सहदेव जे की इनहु से छोट रामा।
मादरी के गोदिया दुलार हो सांवलिया॥19॥