भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख्यालों की मुंडेरों पर / अनुभूति गुप्ता

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:10, 2 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुभूति गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चलो-
ख्यालांे की मुंडेरों पर
नये गीत
लिखते हैं।

प्रेम से
गुनगुनाते हैं
उस के
सुमधुर
मीठे-मीठे बोल।

मन आनंदित हो
हवाएँ हर्षित हो
दुःख की बदली
छट जाये।

आओ,
विक्षुब्ध ज़िन्दगी में
उत्साह के पुष्प उगायें।