भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लोग / गिरिजा अरोड़ा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:34, 9 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिजा अरोड़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आँसू याद रख खुशियाँ भुलादेते हैं
मानसून आँखोंमें बसा लेते हैं लोग
फूल की महक लेकर भुला देते हैं
काँटों को दामन से लगा लेते हैं लोग
बातों बातों में मुर्दे गढ़े उखाड़ लेते हैं
जीवन को कब्रिस्तान बना लेते हैं लोग
एक ही बात बार बार दोहराते हैं
कुछ किस्से क्यों नहीं भुला देते हैं लोग
दर्द के गीत ही लिखते हैं गुनगुनाते हैं
गमों को दिल का जहान बना लेते हैं लोग