Last modified on 12 मई 2017, at 14:29

पवन / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:29, 12 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

थर–थर कांपता है
फूलों का पेड़
पवन को आते देख
कमजोर बूढ़े बाप की तरह डांटता है
कलियाँ को
क्यों नहीं रहतीं छुपकर
पत्तियों में
बेपरवाह कलियाँ
खिलखिलाती हैं
छिपाती हैं मुँह
पत्तियों की ओट में
करती हैं इंतजार
उचक कर देखती हैं
अभी तक आया नहीं क्यों
पवन।