भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मिलन मलरिहा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मिलन मलरिहा
Milan-Malariha-Kavitakosh.jpg
जन्म 11जुलाई 1988
निधन
उपनाम मलरिहा
जन्म स्थान मल्हार, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
कुछ प्रमुख कृतियाँ
विविध
जीवन परिचय
मिलन मलरिहा / परिचय
कविता कोश पता
www.kavitakosh.org/{{{shorturl}}}

छतीसगढ़ी रचनाएँ

मलरिहा के छत्तीसगढ़ी **कुण्डलिया** """""""""""""""""""""""""""""""""""""" - नोनी बाबू एक हे, झिन कर संगी भेद ! रुढ़ीवादी बिचार ला, लउहा तैहा खेद !! लउहा तैहा खेद, समाज म सुधार आही! पढ़ही बेटी एक, दूइ घर सिक्छा लाही !! मान मिलनके गोठ, भ्रुणहत्या कर काबू ! भेज दुनो ल एकसंग, इसकुल नोनी बाबू!! - पुस्तक डरेस लानदे, बिसादे अउ सिलेट ! बरतन चउका झिनकरा, पढ़ाई ल झिन मेट !! पढ़ाई ल झिन मेट, सिक्छा के अधिकार दे! बेटी बने पढ़ाव, अउ चरित सन्सकार दे !! आही सिक्छा काम, दुख-दरद देही दस्तक ! मनुस छोड़थे संग, फेर नइछोड़य पुस्तक !! - बेटी पढ़के बाँटही, गांव गांव म गियान ! परकेधन झिन मान रे, इही देस के जान !! इही देस के जान, पढ़लिख नवाजुग लाही ! रुकही अतियाचार, कुकरमी दूर हटाही !! मलरिहा कहत रोज, पुस्तक धरादे बेटी ! अबतो जाग समाज, सिक्छित बनादे बेटी !! - कहाँले बहूँ लानबो, परगे हवय अकाल । बेटा बेटा सब गुनय, इही जगत के हाल ।। इही जगत के हाल, कोख भितरी मरवाथे । गुनले अपन बिचार, बेटी रोटी खवाथे ।। कहत मलरिहा गोठ , खुदके माथा घुसाले । छोड़ देहि सनसार, दाई पाबे कहाँले ।। - नोनी बहनी नोहय ग, ए जिनगी के बोझ । टूरा होथे मनचला, कोनो रहिथे सोझ ।। कोनो रहिथे सोझ, दाई - ददा ल सताथे । काम बुता ढेचराय , मुड़ी धरके रोवाथे ।। मलरिहा कहत गोठ, कानले निकाल पोनी । कब समझबे मनूस, भविस्य हमर हे नोनी ।।

मिलन मलरिहा मल्हार बिलासपुर

गीत

छंद

कविता

हिंदी रचनाएँ