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अपना देश / देवानंद शिवराज
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अपना देश अपना घर
सारे जग मे न्यारा है
माँ का तन ए वतन
तू स्वर्ग से प्यारा है।
मेरी धरती का तन
नित रज तिलक करूँ मैं
आँचल में तेरे बलि हो जाऊँ
सिर तुम्हारा है।
जो करते देश का अपमान
लिया है अपनी माँ का जान।
सेवा निस दिन जो करता
लाल वही माँ का मान।
धन्य है जीवन वही
माँ का चरण जो पखारा है।
सरनामी हिन्दुस्तानी हूँ माँ
जनम जनम हो गोद तेरी माँ
नाम मइया हो सूरीनाम
गिरने दूँगा न तुझे
बड़ा होकर लूँगा था
संकल्प मेरा पृथवी माँ
लक्ष्य यही हमारा है।