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समय में समाय गइली / राज रामदास
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समय में समाय गइली
सबेर के एक अँधेर इलाका में
जनम जब भी जगाइस
तब मौत मुस्कियाइस
बेर बेर सोचत
कि मिलगे गहनकी एक और हमके
संसार के सुखदुख के बेलैक भाग में
हम अपन बचपन बिताइली
मैल बीमारी में
खेलत कूदत
जवानी से करजा लेके
एक टुकड़ा जीवन कीन ली
माया की मीढ़ी के सोझे
उम्मीद और नाउम्मीद के मौसम में
हम बोइली तोर संघे
सोचली और बिचारली भी
खाली बखार के बगले
तमाखू खींचत
बिस्वास भरोसा
और आसा के भासा
भूलगैले रहली
जब थकल अँजोर के गोदी में
एक जीव जनम लेइस
हमार तोर
पक्कल फूटल प्रान के टुकड़ा
आधा डरायते
आधा खुसी में
उठाइली हम ओके
उधार के हथकड़ी कलाई पे लिए
और संसार के तराजू पे
रख देली।