भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऋषि-मुनि / रामदेव रघुबीर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:44, 26 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामदेव रघुबीर |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(दोहा)

करतब ना छोड़,
प्रति वर्ष याद धराता डोर।
ऋषि मुनि आचारी,
करते हैं प्रचारी

(गीत)

तेरी बिगड़ी भी बन जाई,
गुरू मन्त्र लेलो ले भाई।
सत्य के मनसा-वाचा-कर्मा,
दिहें अति सुख भाई॥

तेरी बिगड़ी भी बन जाई,
ब्रह्मा रचै और बनावै,
विष्णु सारी ओर सँवारे।
महेश सुख देवे और मिटावे,
तीनों अर्थ को भजलो भाई॥
तेरी बिगड़ भी बन जाई।