भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भव्य जड़ता / ब्रज श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:49, 27 मई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रज श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
लोग कहते हैं
तुम्हारे व्यक्तित्व को पहाड़
कुछ लोग
मंच से कहते हैं कि
तुम्हारा ह्रदय समुंदर जैसा है
इधर मैं पहाड़ों की
भव्य जड़ता देखकर
घबरा रहा हूँ
और समुद्र का
विस्तार डरा रहा है मुझे.
लोग सही करते हैं
तुम्हारी तुलना
इस अभिशप्त विराट से