Last modified on 5 जून 2017, at 17:21

प्रार्थना बना दो / लाखन सिंह भदौरिया

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:21, 5 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाखन सिंह भदौरिया |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जो गीत है अगाया, वह गीत आज गा दो।
जिस दिव्यता में डूबा, सुधि की समीपता में,
उन पीर के पलों को तुम प्रार्थना बना दो।
जो गीत है अगाया, वह गीत आज गा दो।
आँसू का भोर कितना, होता सुहावना है,
वरदान माँगता हूँ, आँसू में मुस्कुरा दो।
जो गीत है अगाया, वह गीत आज गा दो।
विश्वास डगमगाया है आज साधना का,
तुम पास ही खड़े हो, हर साँस को दिखा दो।
जो गीत है अगाया, वह गीत आज गा दो।