भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खतम कहाणी / विनोद कुमार यादव
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:14, 9 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पवन शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=थार-सप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मा सुणावंती
नित नूईं कहाणी
कहाणी में
चोखी बातां
चोखी-चोखी बाणी
अेक हो राजा
अेक ही राणी
दोन्यूं मरग्या
ख़तम कहाणी
अर आज सांच्याणी
ख़तम होयगी
आ कहाणी
मा री कहाणी में ही
गो माता गोमती
टोगड़ियो गणेश
पण आ तो पळटगी
गा अर गा रा जाया
फिरै लट्ठ खांवता
डेरी बणगी बैरी
अब दूध
थणां सूं नीं
थैली सूं झरै
गा नीं
टैंकर देवे दूध
ठाह ई नीं पड़ै
किण घर रो है
दूध में समता है
पण ममता कोनीं।