तोहें गेलहेॅ प्यार लुटाय के / कस्तूरी झा 'कोकिल'
तोहें गेलहेॅ प्यार लुटायके, छोड़लेहेॅ यहाँ अकेला जी।
केकरा कहबै रामकहानी सबसे बड़ोॅ झमेला जी।
पागल नाँकी दिन गुजरै छैं
छटपटाय के रात जी।
भरला रातीं सब कोय सुतलेॅ
कौनें करतै बात जी?
निर्मोही बिजली बत्ती केॅ देखेॅ अलगें खेला जी।
तोहें गेलहेॅ प्यार लुटाय केॅ छोड़लेहे यहाँ अकेला जी।
घुप अनहरियाँ नन्ही की चुट्टी,
रही-रही के काटै छै।
भक्कइंजोरियॉ अयथैं र्दरी।
लाल अंगयोरा साटै छै।
तोहीं बताबेॅ अबें की करियै सगरों ठसलेॅ ढोला जी।
तो हें गेलेहेॅ प्यार लुटाय केॅ छोड़लेॅ है यहॉ अकेला जी।
एक्के पापी लेॅ डूबै छै।
नांव हाय मझधार में।
सब कुछ केॅ रहला के बादोॅ
कहॉ चैन संसार में
भाँति-भाँति केॅ लोग यहाँ छै देखेॅ सरकश मेला जी।
तोहें गेलेहॅ प्यार लुटाय केॅ छोड़लेहे यहॉ अकेला जी।
केकरा कहबै राम कहानी सबसें बडोॅ झमेला जी।
05/04/15 सुप्रभात पाँच बजे