Last modified on 13 जून 2017, at 15:37

वट सावित्री पूजा पैसठवाँ / कस्तूरी झा 'कोकिल'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:37, 13 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कस्तूरी झा 'कोकिल' |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वट सावित्री पूजा पैसठवाँ केनॉ करभौ बोलोॅ जी?
पंचतत्व में मिललेहौ तोहें ईरहस्य केॅ खोलेॅ जी।
कौन रूप में तोय छेॅ प्रिय हो।
हमरा कुछ नैं मालूम छै।
सदा सुहागिन स्वर्गारोहण
दुनिया भर के हाल मालूम छै।
पूजा लेल धरती पर आबोॅ वायुयान केॅ खोजोॅ जी।
वट सावित्री पूजा पैसठवाँ कैनॉ करभोॅ बोलेॅ जी?
मनझमान बैठलेॅ घी घर मेॅ
मौॅन ऊछीनॅ लागै छै।
याद पड़े छै पौरेकॅ पूजा
तोरेह पीछू भांगै छै।
पूजै लेल सबकुछ ऐयलॅ छै, फुरती भोग लगाबोॅ जी।
खाली-खाली गमला राखलॅ
खाली-खाली कुरसी छै।
खाली नीचाँ के सब कमरा
खाली धरलेॅ बोरसी छै
तोहीं नेतॉ सब कुछ फीका आबी केॅ हरसाबेॅ जी।
वट सावित्री पूजा कखनी करभौं तोंय बतलाबे जी।

17/05/15 रविवार अपराह्न 12.50