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ईश्वर रॅ अच्छा / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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तोरा रहला सेॅ सब सुन्दर
नैं तॅ सब बेकार छै।
वहेॅ चमन छै, वहेॅ बगीचा
मतुर न अब गुलजार छै।
ईश्वर रॅ मर्जी से जीना,
जेनाँ राखथिन तेनाँ रहना।
मतुर दियै दुनिया केॅ प्रिय कुछ
ऐसेॅ जीवित कथीलॅ रहना?
भक्ति जगाथिन, प्रेम उगाथिन,
दिलॅ-मनॅ में उल्लास समाथिन।
परोपकार में जीवन अर्पण,
दीन दुखी रॅ हाथ थमाथिन।
बनली रहॅ प्रेरणा हमरोॅ
अम्बर अवनी तार लगाथिन
कमर में शक्ति आँखी में ज्योति
शंका नैं, भय सभ्भे भगाथिन।
अमर काव्य रॅ रचना करियै,
दुनिया केॅ कुछ देॅ केॅ जैइए।
भूलचूक लेॅ क्षमा मागियै,
प्रभुरेॅ शरण सदागुण गैइए।

22/07/15 प्रातः 7.50