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चौथापन केॅ विधूर वेदना / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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चौथापन केॅ विधुर वेदना दुखदायी भैइया।
कोय नैं बूझे दर्द बुजुर्ग के भवसागर में नइैया।
जनम-जनम केॅ जीवन साथी
पंचतत्व में मिललै।
पता ठिकाना नैं छै हुनखॅ
कहाँ में पाती लिखतै
दिल केॅ बात सुनैतै केकरा नैं बाबू नैं भैइया?
कोय नैं बूझे दर्द बुजुर्ग के भवसागर में नइैया।
नवका तें कथील सुनतै?
गुड़लेॅ रामे कहानी।
नैं छै फुरसत नैं छै जरूरत
सब केॅ राह तूफानी।
बेटा पोता केॅ माया में बाँटै खूब रुपैइया।
कोय नैं बूझे दर्द बुजुर्ग के भवसागर में नइैया।
औन पौन में दिन गुजरै छै,
करबट फेरी रात।
तैइयो ममता नैॅ छोडै़ छै?
ई बुझै केॅ बात।
प्राण पखेरु जब उड़तै तॅ होतै भोज गवैइया।
कोय नैं बूझै दर्द बुर्जुग केॅ भवसागर में नैइया।

24/12/15 अपराहन 12.10