आज की जनता नेता बनी।
पथिक थके, पर चरण न हारे,
बढ़ते रहे लक्ष्य के मारे,
अमर पराजय की परवशता समर विजेता बनी।
आज की जनता नेता बनी।
गति डगमग, गतिरोध अचल है,
शांति शिथिल, प्रतिशोध प्रबल है,
आज अभागों की टोली सौभाग्य प्रणेता बनी।
आज की जनता नेता बनी।
अग्नि-परीक्षा के दिन आए,
मतभेदों के बादल छाए,
जनमत ने जनयुग की जन-मन-रंजन पग-ध्वनि सुनी।
आज की जनता नेता बनी।