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अए दिले नाकाम आखिर किसलिए / बलबीर सिंह 'रंग'
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अए दिले नाकाम आखिर किसलिए,
गर्दिशे अय्याम आखिर किसलिए।
आपके पैग़ाम आखिर किसलिए,
हर किसी के नाम आखिर किसलिए।
पाक दामानी में शोहरत आपकी,
हम हुए बदनाम आखिर किसलिए।
मैक़दे में साक़िया तेरा वजूद,
फिर भी खाली जाम आखिर किसलिए।
मैक़दे में साक़िया तेरा वजूद,
फिर भी खाली जाम आखिर किसलिए।
अपनी-अपनी बज़्म की रंगीनिया,
‘रंग’ पर इल्ज़ाम आखिर किसलिए।