भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ नहीं होगा / अमरजीत कौंके

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:35, 27 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरजीत कौंके |अनुवादक= |संग्रह=बन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सब कुछ होगा तुम्हारे पास
एक मेरे पास होने के
एहसास के बिना

सब कुछ होगा मेरे पास
तुम्हारी मुहब्बत भरी
एक नज़र के सिवा

ढँक लेंगे
हम पदार्थ के साथ
अपना आप
एक सिरे से
दूसरे सिरे तक

लेकिन
कभी महसूस कर के देखना
कि सब कुछ होने के बावजूद भी
कुछ नहीं होगा हमारे पास
अपने सच्चे दिनों की
मुहब्बत जैसा

जब तुम्हारे पास कुछ नहीं था
जब मेरे पास कुछ नहीं था।