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जिसकी ताकत, उसका घन / आभा पूर्वे
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जिसकी ताकत, उसका घन
लोकतंत्रा का पागलपन।
सब दिन सूखा-सूखा-सा
कब सावन है, कब अगहन।
नागफनी का जंगल भी क्या
कभी बनेगा चन्दन वन?
कब तक किसके साथ रहा है
हीरा, मोती या कंचन?
सावन तो आया है लेकिन
सता रहा मन को राशन।
कल बोलेगा बच्चा बच्चा
लौटाओ मेरा बचपन।
नई सदी में यह भी समझो
प्यार यहाँ है काला धन।