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नागफनी के फूल (ग़ज़ल संग्रह) / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
- दुनिया का जो मेला है / आभा पूर्वे
- जीवन शूल-बिछौना है / आभा पूर्वे
- नदियों में जब धार नहीं / आभा पूर्वे
- कैसा सूरज कैसा भोर / आभा पूर्वे
- सबको सब से भय-डर है / आभा पूर्वे
- जिसकी ताकत, उसका घन / आभा पूर्वे
- कितना यहाँ अंधेरा है / आभा पूर्वे
- जितना नहीं है गोली में / आभा पूर्वे
- जैसे भी हो चलना होगा / आभा पूर्वे
- व्योम पर हो जब चरण / आभा पूर्वे
- ठोस जगत भी पानी है / आभा पूर्वे
- जैसी अभी सियासत है / आभा पूर्वे
- एक तुम्हारा जो मुझे, नहीं मिला है पास / आभा पूर्वे
- अब जब आया है चढा़, नभ पर घन आषाढ़ / आभा पूर्वे
- घिर के आये मेघ जब, मन मुस्काया गीत / आभा पूर्वे
- हाथ तुम्हारा थामे चलना अच्छा लगता है / आभा पूर्वे
- यह गुजर जायेगा रहगुजर धीरे-धीरे / आभा पूर्वे
- नई सदी की भोर में, लाशों की बारात / आभा पूर्वे
- जुल्म का मुझपर तुम्हारा सिलसिला है / आभा पूर्वे
- जीवन अपना-सा लगा, जब तुम आये द्वार / आभा पूर्वे
- कहते हैं विद्वान सब, ज्ञान इन्द्रियाँ पाँच / आभा पूर्वे
- शीतल-शीतल तन हुआ, आया सावन मास / आभा पूर्वे
- कैसे जोड़े प्रीत की, तुमसे अपनी डोर / आभा पूर्वे
- चंदन का घर प्रेम है, जिसका ओर न छोर / आभा पूर्वे