भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जाडे़ के गीत / कन्हैयालाल मत्त
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:38, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैयालाल मत्त |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जाड़ा लगे,
जाड़ा लगे,
जड़नपरी।
ठंडी-ठंडी हवा लगे,
बहुत बुरी!
भेड़ नानी,
भेड़ नानी,
दे दो कुछ ऊन।
मम्मी जी बुनेंगी मेरे-
कोट-पतलून!
मुन्ने राजा,
मुन्ने राजा,
ऊन लोगे?
मम्मी जी से पैसे ला के-
कित्ते दोगे?
भेड़ नानी,
भेड़ नानी,
ख्ूाब करारे!
मम्मी जी के बटुए के-
नोट सारे!