Last modified on 28 जून 2017, at 18:21

वह स्त्री / रंजना जायसवाल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:21, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बाहर जाने से पहले
कई बार ताले को
खींचकर देखती
रात में बार-बार उठकर
बंद दरवाजों को टटोलती
किसी पड़ोसन के आने पर
सशंकित रहती
वह स्त्री
सो रही है आज ‘बेफिक्र’
सारी चिंताएँ
क्या जीने के लिए होती हैं?