कंपनियों के
कपड़ों से सजे
मुस्कुराहट बिखेरते
अभिनय करते
माल बेचते
नन्हें-मुन्ने सीख रहे हैं
खुद को बेचने की कला
खुश हैं
अभिभावक
दर्शक
आयोजक
अब लगता है
इक्कीसवीं सदी में
पहुँच गया है भारत
कंपनियों के
कपड़ों से सजे
मुस्कुराहट बिखेरते
अभिनय करते
माल बेचते
नन्हें-मुन्ने सीख रहे हैं
खुद को बेचने की कला
खुश हैं
अभिभावक
दर्शक
आयोजक
अब लगता है
इक्कीसवीं सदी में
पहुँच गया है भारत