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जीने के लिए / रंजना जायसवाल

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अकेले में
जब भी
घुटने लगता है दम
छटपटाते हैं प्राण
तुम्हारे ही शब्दों पर
उकेर लेती हूँ तुम्हें
और जी उठती हूँ
मैं!!