Last modified on 4 जुलाई 2017, at 12:18

फिर कैसे / रंजना जायसवाल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:18, 4 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हर पल
भरा-भरा रहा
तुमसे मेरा मन
इतना कि बची न रही
जगह तनिक भी किसी
‘और’
के लिए
फिर कैसे
बची रह गयी
तुममें
इतनी जगह
कि समा जाए
कोई और