हर पल
भरा-भरा रहा
तुमसे मेरा मन
इतना कि बची न रही
जगह तनिक भी किसी
‘और’
के लिए
फिर कैसे
बची रह गयी
तुममें
इतनी जगह
कि समा जाए
कोई और
हर पल
भरा-भरा रहा
तुमसे मेरा मन
इतना कि बची न रही
जगह तनिक भी किसी
‘और’
के लिए
फिर कैसे
बची रह गयी
तुममें
इतनी जगह
कि समा जाए
कोई और